कहानी संग्रह >> भोर होने से पहले भोर होने से पहलेमिथिलेश्वर
|
1 पाठकों को प्रिय 777 पाठक हैं |
हिन्दी के ख्यात कथाकार मिथिलेश्वर की रुचिकर कहानियों का संग्रह।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
मिथिलेश्वर की कहानियाँ प्रायः उनकी अपनी जमीन से जुड़ी हुई होती हैं और वहाँ के शोषित, अभावग्रस्त और गरीबी में साँस ले रहे, या फिर विकसित हो रही औद्योगिक संस्कृति एवं शहरी हवा में कहीं खो गये आदमी की मनोदशा का विश्लेषण करती हैं। रचनाकार ने अपने आसपास के जीवन को एक्स-रे नजर से देखा, जाना है। जीवन के दुःखद, भयावह, कटु एवं विषाक्त परिवेश ने उन्हें भीतर तक कचोटा है, आहत किया है। शायद, इन्हीं सब विषमताओं और जटिलताओं से उपजी हैं मिथिलेश्वर की कहानियाँ। इनमें एक ओर जहाँ स्वाधीनता के इतने बरस बाद दीमक की तरह जहाँ-तहाँ चिपके सामन्ती जीवन पद्धति का चित्रण है तो कहीं आश्रय और पनाह की खोज में भटक गयी नारी-काया का। इससे भिन्न कुछ-एक कहानियाँ राजनीति और शिक्षा-जगत् के गिरते मूल्यों की ओर मार्मिक व्यंग्य के लहज़े में अंगुलि-निर्देश करती हैं। कुछ कहानियाँ शुद्ध काल्पनिक भी हैं।
आंचलिक यथार्थ को सजीव एवं प्रभावपूर्ण बनाने में बिम्बों-प्रतीकों का समायोजन इन कहानियों की अपनी विशेषता है।
आंचलिक यथार्थ को सजीव एवं प्रभावपूर्ण बनाने में बिम्बों-प्रतीकों का समायोजन इन कहानियों की अपनी विशेषता है।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book